विज्ञानियों का मानना है कि ग्लेशियर का एक हिस्सा पहाड़ से नीचे गिरने से भूस्खलन की शुरुआत हुई जो बाद में बाढ़ का कारण बनी।
आपदा से पहले और बाद के उपग्रह चित्रों (Satellite Images) का अध्ययन करने वाले अंतरराष्ट्रीय भूवैज्ञानिकों (Geologists) एवं ग्लेशियोलॉजिस्ट्स यानी हिमनद विज्ञानियों (Glaciologists) का कहना है कि उत्तराखंड के चमोली में प्राकृतिक आपदा का कारण भूस्खलन है न कि हिमस्खलन!
आपको बता दें, विज्ञानियों का मानना है कि ग्लेशियर का एक हिस्सा पहाड़ से नीचे गिरने से भूस्खलन की शुरुआत हुई जो बाद में बाढ़ का कारण बनी। रविवार को उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर के फटने की घटना से जुड़ी मध्यम दृश्यता वाली सैटेलाइट तस्वीरें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय हैं।
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उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने की घटना के जुड़ी सैटेलाइट तस्वीरों पर अध्ययन करने वालों ने कारणों पर जो राय रखी है वह सोशल मीडिया पर यूजर्स का ध्यान आकृष्ट कर रही है।
3D rendering of @planetlabs image collected 7th Feb showing the source of the Uttarakhand disaster located by @WaterSHEDLab. Appears to be a complete detachment of a previously glaciated slope #Chamoli #Disaster #Landslide pic.twitter.com/SElrZh36kH
— Scott Watson (@CScottWatson) February 7, 2021
प्लानेट लैब्स की तस्वीरें -
इस ओर उच्च ऊंचाई वाले हिमनदों और भूगर्भिक वातावरण के अध्ययन में एक्सपर्ट कैलगरी विश्वविद्यालय के डॉक्टर डी. शुगर (Dr Dan Shugar) ने सैटेलाइट इमेजेस के अध्ययन से ध्यान आकृष्ट कराया है।
उन्होंने प्लानेट लैब्स (Planet Labs) की आपदा के पहले और बाद की उपग्रह छवियों (satellite images) की स्टडी के आधार पर अपनी राय रखी है।
सैटेलाइट चित्रों की स्टडी के बाद उनकी राय है कि भूस्खलन (landslide) के कारण अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों में प्रलयकारी बाढ़ आई। उन्होने सैटेलाइट चित्रों में मौजूद धूल की मौजूदगी पर भी ध्यान खींचा है।
This looks like it could be from a (unnamed?) glacier flowing from Trisul peak. @planetlabs imagery from Feb 7 (L image) shows lots of dust/moisture in the air (same as in the videos), which is not present on Feb 6 (R). @BhambriRakesh @davepetley @irfansalroo https://t.co/mjetRxZb0V pic.twitter.com/5deVDWnRo3
— Dr Dan Shugar (@WaterSHEDLab) February 7, 2021
Source : @rajexpress
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