चमोली हादसे में परिवार वाले बस एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि वो कब आएंगे। जिनका बेटा खोया है वो उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनका बेटा जिंदा होगा औऱ जल्द घर आए।
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही हुई ,यह हादसा चमोली के रैणी गांव के पास हुआ। पावर प्रोजेक्ट ऋषि गंगा में भारी तबाही हुई, तबाही का मंजर ऐसा था कि जिसमें कई घरों को नुकसान पहुंचा तो कई लोग लापता हो गए, जिनका रेस्क्यू किया जा रहा है। दुनिया भर के वैज्ञानिक चमोली त्रासदी को लेकर शोध कर रहे हैं, आखिर यह त्रासदी आई किस कारण। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने शोध करके तस्वीरें भी साझा की है।
बता दें कि चमोली हादसे में अब तक 32 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। वहीं 197 लोग लापता हैं। अधिकतर मजदूर हैं जो उस दिन टनल औऱ ऋषि गंगा प्रॉजेक्ट का काम कर रहे थे। हर किसी ने अचानक आए सैलाब से बचने की कोशिश की लेकिन कइयों को मौत के मूंह से जवान बाहर ले आए तो कई लापता हैं जिनकी तलाश जारी है। जो बचकर आ गए या जिनके अपने खो गए वो आंसुओं का सैलाब लेकर अपनों को ढूंढ रहे हैं। उनके परिवार वाले बस एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि वो कब आएंगे। जिनका बेटा खोया है वो उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनका बेटा जिंदा होगा औऱ जल्द घर आए।
वहीं तपोवन साइट के बाहर आपदा प्रभावित लोगों के परिजनों की भीड़ में आंखों में आंसू लिए अजय नेगी के परिवार पर भी कुदरत की मार पड़ी। अजय नेदी के जीजा सत्यपाल बर्तवाल लापता है जो कि तपोवन में इलेक्ट्रििशयन के रूप में तैनात थे। जल प्रलय आने के बाद से वो लापता हैं। पोखरी मसोली गांव के रहने वाले अजय ने दुख जताते हुए कहा कि ढाई साल पहले ही उनकी बहन की शादी सत्यपाल से हुआ था। उनके सामने बार-बार अपने डेढ़ साल के भांजे को चेहरा आ रहा है जो एक ही बात पूछ रहा है पापा कब आएंगे।
अजय नेगी ने कहा कि बहन फोन कर कर के पूछ रही है, भैजी, त्यार जिजाजी कन छीं ? ठीक छीं न ? मैं क्या बताऊं कि कुदरत ने जाने किस जन्म का बदला हमसे लिया है ? हमारी तो सारी खुशियां ही उजड़ गई हैं। भगवान करे, जीजा जी सकुशल मिल जाएं।
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