उत्तराखंड में सीमा सड़क संगठन बीआरओ (BRO) ने मलारी हाईवे पर रैणी में वैली ब्रिज निर्मित कर चीन सीमा क्षेत्र में यातायात सुचारु कर दिया है। 200 फुट लंबे ब्रिज को स्थापित करने में बीआरओ को आठ दिन लगे।
उत्तराखंड में सीमा सड़क संगठन बीआरओ (BRO) ने मलारी हाईवे पर रैणी में वैली ब्रिज निर्मित कर चीन सीमा क्षेत्र में यातायात सुचारु कर दिया है। 200 फुट लंबे ब्रिज को स्थापित करने में बीआरओ को आठ दिन लगे।
शुक्रवार को बीआरओ के अधिकारियों के वाहनों की आवाजाही के साथ ही मलारी हाईवे को खोल दिया गया है। हाईवे के सुचारु होने पर चीन सीमा क्षेत्र में मुस्तैद सेना व आईटीबीपी के जवानों के साथ ही नीती घाटी के ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है।
7 फरवरी को ऋषि गंगा की जल प्रलय में रैणी गांव के समीप मलारी हाईवे पर 90 मीटर लंबा मोटर पुल बह गया था, जिससे सीमा क्षेत्र के 13 गांव अलग-थलग पड़ गए थे। साथ ही सेना के जवानों की आवाजाही भी ठप होग गई थी। जिस स्थान पर पुल था, वहां मलबे के ढेर पड़े हुए थे। बीआरओ ने तत्परता दिखाकर नौ फरवरी से ही मलबा हटाने और हाईवे को सुचारु करने का कार्य शुरू किया।
बीआरओ के चीफ इंजीनियर आशु सिंह राठौर के नेतृत्व में रैणी में ऋषि गंगा के दोनों छोर पर एवेटमेंट का निर्माण किया गया। पुल निर्माण के लिए 100 से भी अधिक मशीनें और इतने ही मजदूर लगाए गए।
बीआरओ (BRO) ने मलारी हाईवे पर रैणी में देश का सबसे लंबा वैली ब्रिज स्थापित किया है। बैली ब्रिज की अधिकतम लंबाई 190 फीट तक ही होती है, लेकिन मलारी हाईवे पर भू-कटाव से स्पॉन अधिक दूरी पर होने के कारण 200 फीट लंबा बनाया गया है।
बीआरओ (BRO) के चीफ इंजीनियर आशु सिंह राठौर ने बताया कि यह देश का सबसे लंबा बैली ब्रिज है। ऋषि गंगा की जल प्रलय से सड़क के दोनों छोर में भू-कटान से नदी की चौड़ाई बढ़ गई, जिससे यहां 200 फीट का लंबा बैली ब्रिज स्थापित करना पड़ा। देश में इतनी लंबाई का वैली ब्रिज कहीं नहीं है।
उत्तराखंड: सीमा सड़क संगठन (BRO) ने रिनी गाँव में नवनिर्मित बैली ब्रिज को आवाजाही के लिए खोल दिया है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 5, 2021
हमने यातायात के लिए 200 फीट लंबे बैली ब्रिज का उद्घाटन किया है। ब्रिज 8 दिनों में बनाया गया है: ए.एस. राठौर, मुख्य अभियंता, बी.आर.ओ. pic.twitter.com/NiQg2f4u5J
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