उत्तराखंड से बड़ी खबर: कोरोना संक्रमित रूद्रप्रयाग के MLA भरत सिंह चौधरी की बिगड़ी तबीयत, देहरादून रेफर

कोरोना संक्रमण के बाद सांस लेने में दिक्‍कत आ रही है। उनको कोटश्वर कोविड चिकित्सालय से देहरादून के लिए रेफर कर दिया गया है। विदित रहे कि चौधरी एक लगभग सप्ताह पूर्व कोविड पाजीटिव पाए जाने के बाद होम आइसोलेशन पर थे।


उत्तराखंड : प्रदेश में मैदानी जिलों की तुलना में कोरोना संक्रमण को लेकर ज्यादा महफूज माने जा रहे पहाड़ में भी अब इस महामारी की खतरे की घंटी बजने लगी है। कोरोना के मामलों को लेकर देहरादून बेशक प्रदेश में सबसे आगे है, लेकिन ज्यादातर पहाड़ी जिलों में संक्रमण दर यहां से ज्यादा है। 

जानकारी मुताबिक़, बीते मंगलवार को अल्मोड़ा सहित चार पहाड़ी जिलों में संक्रमण दर 30 फीसद से ऊपर रही। अल्मोड़ा में तो जांच कराने वाला हर दूसरा व्यक्ति संक्रमित मिला। इस बीच रुद्रप्रयाग से एक बड़ी ख़बर सामने आई है। रुद्रप्रयाग के विधायक भरत चौधरी ऋषिकेश एम्स में भर्ती  हुए। 

कोरोना संक्रमण के बाद सांस लेने में दिक्‍कत आ रही है। उनको कोटश्वर कोविड चिकित्सालय से देहरादून के लिए रेफर कर दिया गया है। विदित रहे कि चौधरी एक लगभग सप्ताह पूर्व कोविड पाजीटिव पाए जाने के बाद होम आइसोलेशन पर थे। आज सुबह उनके शरीर में आक्सीजन लेबल कम होने पर उन्हें कोटेश्वर के कोविड चिकित्सालय में ले जाया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें देहरादून के लिए रेफर कर दिया गया।

आपको बता दें, मंडल अध्यक्ष गंभीर सिंह ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा है कि हम सभी रुद्रप्रयागवासी भगवान बद्री विशाल जी व बाबा केदार जी से माननीय विधायक जी के शीघ्र स्वस्थ होने की मंगल कामना करते हैं। पूरे जनपदवासियों की दुआएँ आपके साथ हैं। आप जल्द ही दोगुने उत्साह के साथ पुनः रुद्रप्रयाग के विकास को आगे बढ़ाएंगे।

प्राप्त जानकारी मुताबिक़, स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार निजी व सरकारी लैब में बीते 24 घंटे में कुल 27928 सैंपल की जांच की गई है। इनमें 20808 की रिपोर्ट निगेटिव आई है और 7120 लोग संक्रमित पाए गए। इस लिहाज से संक्रमण दर 25.5 फीसद रही। अब तक प्रदेश में कुल दो लाख 56 हजार 934 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें एक लाख 71 हजार 454 स्वस्थ हो गए हैं। फिलवक्त राज्य में 76500 सक्रिय मामले हैं। इस बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य सेवाओं का दम फूलता जा रहा है। मरीजों को ऑक्सीजन बेड और आइसीयू तक के लिए अस्पताल में धक्के खाने पड़ रहे हैं।

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