जीतेगा उत्तराखंड : आज शनिवार को 8164 मरीज हुए ठीक, 2903 नए संक्रमित मिले, 64 मरीजों की मौत

प्रदेश में आज शनिवार को कोरोना संक्रमितों की तुलना में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा है। 24 घंटे में 64 मरीजों की मौत हुई और 8164  मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया। 


उत्तराखंड : प्रदेश में कोरोना को लेकर आज राहत भरी ख़बर सामने आई है। प्रदेश में आज शनिवार को कोरोना संक्रमितों की तुलना में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा है। 24 घंटे में 64 मरीजों की मौत हुई और 2906 नए संक्रमित मिले हैं। जबकि 8164  मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया। 

वहीं, प्रदेश में मौत का आंकड़ा 5734 पहुंच गया है। वहीं, 8164 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। इन्हें मिला कर 241430 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में 57929 सक्रिय मरीजों का अस्पतालों व होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, आज शनिवार को देहरादून जिले में 610, नैनीताल में 256, हरिद्वार में 465, ऊधमसिंह नगर में 183, चमोली में 160, बागेश्वर में 40, रुद्रप्रयाग में 131, पिथौरागढ़ में 112, अल्मोड़ा में 221, टिहरी में 281, उत्तरकाशी में 58, पौड़ी में 297 और चंपावत जिले में 89 कोरोना संक्रमित मिले हैं। 

प्रदेश में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए सरकार का कंटेनमेंट जोन बनाने पर जोर है। एक माह के भीतर प्रदेश के 13 जनपदों में 425 कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं। प्रदेश में अब तक कुल 531 कंटेनमेंट जोन बनाकर पाबंदी लगाई गई है।

19 माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित

जनपद अल्मोड़ा के विभिन्न ब्लॉक में 19 माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किए गए हैं, जिसमें सल्ट में एक, द्बराहाट में 2, साल स्याल्दे में 5, भिकियासैंण में दो, अल्मोड़ा में पांच, लंमगड़ा में एक कंटेनमेंट माइक्रो जोन बनाए गए हैं। 4 गांव में से माइक्रो जॉन हटा दिया गया है।

गांव में इन दिनों बड़ी संख्या में लोग सर्दी जुखाम बुखार से पीड़ित हैं, जिसमे कई उनके कई स्थानों में जांच के बाद बड़ी संख्या में लोग कोरोना संक्रमित आने के बाद कुछ गांव को माइक्रो कंटोनमेंट जोन भी घोषित कर दिया गया है और संक्रमित लोग होम आइसोलेशन में हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अधिकांश लोगों के पास एक या दो कमरों का मकान होता है, वही एक ही शौचालय होने से संक्रमण फैलने का खतरा पैदा बढ़ता जा रहा है। 

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य वह राजस्व कर्मी की कमी के कारण होम आइसोलेशन में रहने वाले संक्रमित की सही ढंग से नियमित निगरानी ना होने से ग्रामीण इस महामारी को अब भी हल्के में ले रहे हैं। यह भविष्य के लिए खतरा बना हुआ है।

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