कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए केंद्र सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय के साथ कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिव्यू बैठक कर सकते हैं।
कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए केंद्र सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय के साथ कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिव्यू बैठक कर सकते हैं। बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, दोनों गृह राज्य मंत्री शामिल होंगे। इसके साथ ही PMO ( प्रधानमंत्री कार्यालय) और MHA (गृह मंत्रालय) के अधिकारी भी इस समीक्षा बैठक में शामिल हो सकते हैं।
इस बैठक में कोरोना के थर्ड वेव से निपटने की तैयारियों पर चर्चा संभव है। ऑक्सीजन सप्लाई सुनिश्चित करने पर भी चर्चा हो सकती है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर चुनाव, अमरनाथ यात्रा और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के नियमों पर भी चर्चा संभव है। इस मीटिंग से पहले आज गृहमंत्री अमित शाह 12 बजे अपने दोनों राज्य मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे।
पिछले दिनों ही केंद्र सरकार ने देश के हर नागरिक को कोरोना का टीका मुफ्त लगवाने की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली। अब तक 18 से 45 साल तक की उम्र के लोगो को राज्य सरकारें ये वैक्सीन लगवा रही थीं। लेकिन राज्यों की ओर से लगातार ये शिकायत थी कि उनके पास पर्याप्त वैक्सीन नहीं है और वैश्विक कंपनियां डील करने से इनकार कर रही हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के नाम अपने संदेश में ऐलान किया कि केंद्र सरकार खुद ये वैक्सीन खरीदकर राज्यों को उपलब्ध कराएगी। राज्यों को इसके लिए पैसा खर्च नहीं करना होगा। पीएम मोदी के इस ऐलान के बाद पटरी से उतरते दिख रहे भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम के फिर रफ्तार पकड़ने की उम्मीद बंधी है।
देश में जोर-शोर से शुरू किए गए वैक्सीनेशन प्रोग्राम की मई के पहले तीन सप्ताहों में रफ्तार सुस्त रही। हालांकि अच्छी बात यह है कि जून के पहले सप्ताह से टीकाकरण ने रफ्तार पकड़ ली। 31 मई को जहां 28 लाख टीके लगाए गए वहीं 1-2 जून को 24-24 लाख, 3 जून को 29 लाख, 4 जून को 36.5 लाख और 5 जून को 33.5 लाख टीके लगाए गए। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में साफ कहा कि भारत सरकार ने कोविड-19 से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन का प्रोग्राम शुरू किया था लेकिन कुछ राज्य सरकारों ने वैक्सीन खरीदने का जिम्मा राज्यों को देने की मांग रखी। हालांकि दो हफ्ते बाद ही इन्हीं राज्य सरकारों की ओर से पहले की नीति को ही जारी रखने की डिमांड होने लगी।
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