देश में कोरोना माहमारी के साथ ब्लैक, वाइट और यलो फंगस के बाद अब ग्रीन फंगस का केस सामने आ गया है। शहर इंदौर में अब ग्रीन फंगस का मरीज़ मिला है।
राष्ट्रीय : देश में कोरोना माहमारी के साथ ब्लैक, वाइट और यलो फंगस के बाद अब ग्रीन फंगस का केस सामने आ गया है। शहर इंदौर में अब ग्रीन फंगस का मरीज़ मिला है। ये देश में ऐसा पहला केस है। मरीज़ को तुरंत एयरलिफ्ट कर मुंबई भेज दिया गया है।
जानकारी मुताबिक़, देश में कोरोना के तांडव के बाद अब मरीज़ों में फंगस हमला कर रही है। ब्लैक, वाइट और यलो फंगस के बाद देश मे पहला ग्रीन फंगस का केस सामने आया है। शहर के एक युवक में कोरोना संक्रमण से ठीक होने के डेढ़ माह बाद फेफड़ों व साइनस में 4 एसपरजिलस फंगस मिला। इसे ग्रीन फंगस कहते हैं। डॉक्टर ग्रीन फंगस को ब्लैक फंगस से भी ज्यादा खतरनाक मानते हैं।
जानकारी अनुसार, चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि डोसी ने बताया कि उसे वेरिकोनोजोल इंजेक्शन दिया गया। दांए फेफड़ों से पस भी निकाला गया। फेफड़ों में ज्यादा संक्रमण होने के कारण उसे एयरलिफ्ट कर हिंदुजा अस्पताल ले गए हैं।
ब्लैक फंगस के बाद इंदौर में ग्रीन फंगस से ग्रसित मरीज की पुष्टि की गई है। ये माणिकबाग इलाके में रहने वाला 33 साल का मरीज है जो कोरोना से संक्रमित हुआ था। उसके फेफड़े में 90 फीसदी संक्रमण हो चुका है। मरीज की गिरती हालत के बाद डॉक्टरों की सलाह पर उसे निजी अस्पताल से एयरलिफ्ट कर मुंबई भेज दिया गया है।
हमें अरविंदो अस्पताल से एक 33 वर्षिय व्यक्ति के फेफड़ों की जांच में एक ग्रीन रंग का फंगस मिला, उसके रंग के आधार पर उसे ग्रीन फंगस का नाम दे रहे हैं। यह देश में इस तरह का पहला मामला है। मरीज को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में शिफ्ट किया गया है: अपूर्वा तिवारी, स्वास्थ्य विभाग, इंदौर pic.twitter.com/xatRb61zeM
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 15, 2021
दो महिने तक चले इलाज के बाद मरीज की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई थी। उसके 10 दिन बाद मरीज की हालत फिर से बिगड़ने लगी। उसके दाएं फेफड़े में मवाद भर गया था। फेफड़े और साइनस में एसपरजिलस फंगस हो गया था। जिसे ग्रीन फंगस कहा जा रहा है।
ब्लैक से ज़्यादा खतरनाक है ग्रीन फंगस
विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रीन फंगस ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक है। इसकी वजह से मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। मरीज को खखार और गुदाव्दार से खून आने लगा था। बुखार भी 103 डिग्री बना हुआ था। ग्रीन फंगस पर एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन भी असर नहीं करता है।
बता दें, प्रदेश में ग्रीन फंगस का ये पहला मामला है जो पोस्ट कोविड मरीजों में देखा गया है। कोरोना की रफ्तार तो कम हो चुकी है, लेकिन ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। ऐसे में ग्रीन फंगस का डिटेक्ट होना चिंताजनक है। फिलहाल,मरीज को बेहतर इलाज के लिए मुंबई भेजा गया है।
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